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Books by Vaisnavacharya Chandan Goswami

प्रेम परिकर्तिका

प्रेम परिकर्तिका

वैष्णवाचार्य श्री चंदन गोस्वामी द्वारा कृत एक पुस्तिका है। श्री राधारमण लाल के प्रेम को महाराज श्री ने कविताओं के संग्रह के माध्यम से इस पुस्तिका में प्रस्तुत किया है। ठाकुर श्री राधारमण देव के लिए वैष्णव जन एवं रसिक जनो के विरह भाव को शब्दों में व्यक्त करती ये कविताएँ हर भक्त के हृदय में छुपे उस प्रेम को, जो अब विरहाग्नि में परिवर्तित हो रहा है, बहुत मधुर रूप से दर्शाती है।

श्री कृष्ण कौतुकम्

श्री कृष्ण कौतुकम्

श्री परमानंद पाद द्वारा लिखित यह दिव्य लीला ग्रंथ जो नित्य एवं नैमित्तिक लीलाओं का आस्वादन कराता है, श्रीकृष्ण दास बाबा कुसुम सरोवर वालों के द्वारा प्रथम बार छापा गया था । जिसकी ४०० वर्ष पुरानी हस्त लिखित प्रतिलिपि उनके पास थी । वर्तमान में यह ग्रंथ प्रायः लुप्त ही हो चुका है । परंतु एक दिन जब दास ने इस ग्रंथ का अध्ययन किया तो हिंदी के अनुवाद में बहुत त्रुटियों को पाया ।

भावानुवाद
वैष्णवाचार्य चन्दन गोस्वामी

श्री राधारमण प्राकट्य

श्री राधारमण प्राकट्य

श्री मधुसूदन गोस्वामी विरचित श्री राधारमण प्राकट्य, ब्रजभाषा का अलौकिक ग्रंथ है जिसमें श्रीजी के प्राकट्य का विस्तृत वर्णन दिया हुआ है । ऐसे ही प्रेममयी सेवा करते हुए सार्वभौम मधुसूदन गोस्वामी जी का जीवन व्यतीत हुआ तथा अंत में श्रीजी के श्रीचरणों में उन्हें शरण मिली ।

भावानुवाद
वैष्णवाचार्य चन्दन गोस्वामी

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श्री राधाकृष्ण कुटुम्ब (प्रथम भाग- पशु पक्षी)

ODev’s new series, Shri Radha-Krishn’s Family, helps you learn about Shri Radha-Krishn, their family members, servants, lila places and much more. Because when you love someone, you want to please them in every way and this can only happen if you know everything about them. The series is based on Shri Radha-Krishn Ganoddesh Dipika by Shri Roop Goswami. With its easy-to-read content and charming colouring pages, the first book provides an interactive meditation on the Divine Couple and their nitya-parikars. Suitable for children of all ages as well as adults.


श्री राधारमण गीता

श्री राधारमण गीता

श्री वृंदावन की भक्ति भावमयी भक्ति कही गयी है । इस भक्ति में अष्टायाम सेवा के भाव ही प्रधान हैं जिससे श्री प्रियालालजू की लीला का स्मरण कर भोग राग सेवा करी जाती है ।

श्री राधारमण गीता में रसिकवर श्री गुणमंजरी दास गोस्वामी जी के द्वारा रचित पदों में श्रीजी की उसी नित्य लीला तथा नैमित्तिक लीला का वर्णन है जिसके द्वारा उनके प्रिय भक्त उनकी उपासना करते हैं ।

रसिकश्रेष्ठ श्री सार्वभौम मधुसूधन गोस्वामी जी द्वारा वर्णित श्री राधारमण देव के प्राकट्य की अद्भुत कथा एवं दुर्लभ श्री राधारमण एवं श्री गोपाल भट्ट गोस्वामी जी की स्तुतियाँ इस ग्रंथ को अद्वितीय बनाती हैं ।